आज जाने की ज़िद न करो!
जिंदगी रेत की तरह होती है इसे जितनी तेजी से पकड़ो ये उतनी ही तेजी से निकल जाती है। कहानी शुरू होती है दिल्ली से, बी.टेक की पढाई कर रहे कुश और उसके चार दोस्त निकलते है घूमने डलहौज़ी हिमाचल प्रदेश। ट्रैन की बुकिंग पहले से ही होती है इसलिए सीट मिलने में कोई दिकत नहीं होती। और कुछ देर बाद पता चलता है की अगले बर्थ में लड़कियों का ग्रुप है तो सब सोचते है की अब तो सफर अच्छा कटेगा। कुश शर्मा, शर्मा परिवार का इकलौता चिराग। बी.टेक कर रहा iit दिल्ली से और घूमने फिरने का बड़ा शौकीन है ये घूमने का प्लान भी उसी ने बनाया है। ट्रैन दिल्ली स्टेशन को छोड़ के अब आगे बढ़ चुकी है सभी यात्री अब अपनी अपनी सीट ग्रहण कर चुके है मगर दो बर्थ में अभी भी चहल पहल है एक कुश के और दूसरी लड़कियों के बर्थ में, वहा गानों पे गाने गए जा रहे है और यहाँ राहुल का चादर नहीं मिल रही, राहुल, कुश का बेस्ट फ्रेंड। वो हमेशा कुछ न कुछ भूल ही जाता है अब सोये बिना चादर के, पर भला हो अंश का जो दो चादर ले कर चला था एक बिछाने के लिए और एक ओढ़ने के लिए, १२ बज चुके थे बस ट्रैन के चलने की आवाज आ रही थी तभी कुश उठा और टॉयलेट की तरफ गया पर टॉय